दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के ये हैं शानदार उपाय, आप भी आजमाएं
जीवन में कई बार कड़ी मेहनत करने के बाद भी मनचाहा फल नहीं मिल पाता. इसकी वजह से कई बार लोग अपने भाग्य को कोसने लग जाते हैं. अगर आप भी ऐसे ही लोगों में शामिल हैं तो दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के लिए अपनाएं ये सरल उपाय,जिन्हें करने से आपके जीवन से दुर्भाग्य हमेशा के लिए दूर हो जाएगा.
जीवन में कई बार कड़ी मेहनत करने के बाद भी मनचाहा फल नहीं मिल पाता. इसकी वजह से कई बार लोग अपने भाग्य को कोसने लग जाते हैं. ऐसे लोगों को लगता है कि दुर्भाग्य निरंतर उनका पीछा कर रहा है. अगर आप भी ऐसे ही लोगों में शामिल हैं तो दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के लिए अपनाएं ये सरल उपाय,जिन्हें करने से आपके जीवन से दुर्भाग्य हमेशा के लिए दूर हो जाएगा.
दुर्भाग्य क्यों आता है-
- जब कुंडली में महादशा अंतर्दशा अच्छे ग्रहों की चल रही हो लेकिन जब एकदम से कार्य बिगड़ने लगे या फिर व्यापार एकदम से ठप्प जो जाए, नौकरी में प्रमोशन की बात टल जाए तो समझ जाइए कहीं ना कहीं दुर्भाग्य ने दस्तक दी है.
- हम अपने जीवन में कई बार दुर्भाग्य को अपनी गलत आदतों की वजह से भी निमत्रंण देते हैं.
- कुंडली में सही ग्रहों की महादशा अंतर्दशा होने के बाद भी हम उनके विपरीत जब कार्य करते हैं.
दुर्भाग्य को दूर करने के ये हैं कारगर उपाय-
- हमेशा ग्रहों से सम्बंधित दान पूजा पाठ जरूर करें.
दूसरों के प्रति हमारे कर्तव्य का अर्थ है- दूसरों की सहायता करना। संसार का भला करना। अब प्रश्न उठता है कि हम संसार का भला क्यों करें? वास्तव में ऊपर से तो हम संसार का उपकार करते हैं, परंतु असल में हम अपना ही उपकार करते हैं। हमें सदैव संसार का उपकार करने की चेष्टा करनी चाहिए और कार्य करने का यही हमारा सर्वोच्च उद्देश्य होना चाहिए। यह संसार इसलिए नहीं बना कि तुम आकर इसकी सहायता करो, बल्कि सच यह है कि संसार में बहुत दुख-कष्ट हैं, इसलिए लोगों की सहायता करना हमारे लिए सर्वश्रेष्ठ कार्य है।
यदि हम सदैव यह ध्यान रखें कि दूसरों की सहायता करना एक सौभाग्य है, तो परोपकार करने की इच्छा एक सर्वोत्तम प्रेरणा शक्ति बन जाती है। एक दाता के ऊंचे आसन पर खड़े होकर और अपने हाथ में दो पैसे लेकर यह मत कहो, ऐ भिखारी, ले, मैं तुझे यह देता हूं। तुम स्वयं इस बात के लिए कृतज्ञ होओ कि इस संसार में तुम्हें अपनी दयालुता का प्रयोग करने और इस प्रकार पूर्ण होने का अवसर प्राप्त हुआ। धन्य पाने वाला नहीं, देने वाला होता है। सभी भलाई के कार्य हमें शुद्ध और पूर्ण बनाने में सहायता करते हैं।
English translation:
These are great ways to convert bad luck into good luck, you should also tryMany times in life, even after working hard, one does not get the desired result. Because of this many times people start cursing their fate. If you are also among such people, then follow these simple steps to convert misfortune into good luck, by doing which misfortune will be removed from your life forever.
Many times in life, even after working hard, one does not get the desired result. Because of this many times people start cursing their fate. Such people feel that misfortune is constantly following them. If you are also among such people, then follow these simple steps to convert misfortune into good luck, by doing which misfortune will be removed from your life forever.
Why does misfortune come?
When the Mahadasha and Antardasha of good planets is going on in the horoscope, but when the work starts deteriorating suddenly or the business comes to a standstill, the promotion in the job is postponed, then understand that somewhere bad luck has knocked.
Many times in our life, we invite misfortune because of our bad habits.
Even after having the Mahadasha Antardasha of the correct planets in the Kundli, when we act opposite to them.
These are effective measures to remove misfortune-
Always do charity worship related to planets.
Our duty to others means to help others. To do good to the world Now the question arises that why should we do good to the world? In fact, we do the world a favor from above, but in reality we do our own favors. We should always try to do the world a favor and that should be our highest aim of working. This world was not created because you come and help it, but the truth is that there is a lot of suffering and suffering in the world, so helping people is the best thing for us.
If we always keep in mind that helping others is a privilege, then the desire to do charity becomes a great driving force. Standing on the high pedestal of a donor and holding two paise in your hand do not say, O beggar, take it, I will give it to you. You yourself should be grateful that in this world you got the opportunity to exercise your kindness and be thus fulfilled. Blessed is the giver, not the recipient. All good works help to make us pure and complete.
संसार की सहायता करने की खोखली बातों को हमें मन से निकाल देना चाहिए। यह संसार न तो तुम्हारी सहायता का भूखा है और न मेरी। परंतु फिर भी हमें निरंतर कार्य करते रहना चाहिए, परोपकार करते रहना चाहिए। क्यों? इसलिए कि इससे हमारा ही भला है। यही एक साधन है, जिससे हम पूर्ण बन सकते हैं। यदि हमने किसी गरीब को कुछ दिया, तो वास्तव में हम पर उसका आभार है, क्योंकि उसने हमें इस बात का अवसर दिया कि हम अपनी दया की भावना उस पर काम में ला सके। यह सोचना निरी भूल है कि हमने संसार का भला किया। इस विचार से दुख उत्पन्न होता है। हम किसी की सहायता करने के बाद सोचते हैं कि वह हमें इसके बदले में धन्यवाद दे, पर वह धन्यवाद नहीं देता, तो हमें दुख होता है।हम जो कुछ भी करें, उसके बदले में आशा क्यों रखें? बल्कि उल्टे हमें उसी के प्रति कृतज्ञ होना चाहिए, जिसकी हम सहायता करते हैं, उसे साक्षात नारायण मानना चाहिए। मनुष्य की सहायता द्वारा ईश्वर की उपासना करना क्या हमारा परम सौभाग्य नहीं है? यदि हम वास्तव में अनासक्त हैं, तो हमें यह प्रत्याशाजनक कष्ट क्यों होना चाहिए? अनासक्त होने पर तो हम प्रसन्नतापूर्वक संसार में भलाई कर सकते हैं। अनासक्त किए हुए कार्य से कभी भी दुख अथवा अशांति नहीं आएगी।यदि हम यह जान लें कि आसक्तिरहित होकर किस प्रकार कर्म करना चाहिए, तभी हम दुराग्रह और मतांधता से परे हो सकते हैं। जब हमें यह ज्ञान हो जाएगा कि संसार कुत्ते की टेढ़ी दुम की तरह है, जो कभी भी सीधा नहीं हो सकती, तब हम दुराग्रही नहीं होंगे। यदि संसार में यह दुराग्रह, यह क्रुरता न होती, तो अब तक यह बहुत उन्नति कर लेता। यह सोचना भूल है कि धर्र्माधता द्वारा मानवजाति की उन्नति हो सकती है। बल्कि यह तो हमें पीछे हटाने वाली शक्ति है। इससे घृणा और क्रोध उत्पन्न होता है और मनुष्य एक दूसरे से लड़ने लगते हैं और सहानुभूतिशून्य हो जाते हैं। तब हम सोचते हैं कि जो कुछ हमारे पास है अथवा जो कुछ हम करते हैं, वही संसार में सर्वश्रेष्ठ है और जो हम नहीं करते वह गलत है।?अतएव जब कभी दुराग्रह का भाव आए, तो यह याद करो कि संसार कुत्ते की टेढ़ी पूंछ है, जो सीधी नहीं हो सकती। तुम्हें अपने आपको संसार के बारे में चिंतित बना लेने की आवश्यकता नहीं- तुम्हारी सहायता के बिना भी यह चलता रहेगा। जब तुम दुराग्रह और मतांधता से परे हो जाओगे, तभी अच्छी तरह कार्य कर सकोगे। जो ठंडे मस्तिष्क वाला और शांत है, जो उत्तम ढंग से विचार करके कार्य करता है, जिसके स्नायु सहज ही उत्तेजित नहीं होते तथा जो अत्यंत प्रेम और सहानुभूति संपन्न है, केवल वही व्यक्ति संसार में परोपकार कर सकता है और इस तरह उससे अपना भी कल्याण कर सकता है।यह संसार चरित्रगठन की एक विशाल व्यायामशाला है। इसमें हम सभी को अभ्यासरूप में कसरत करनी पड़ती है, जिससे हम आध्यात्मिक बल से बलवान बनें। हममें किसी भी प्रकार का दुराग्रह नहीं होना चाहिए, क्योंकि दुराग्रह प्रेम का विरोधी है। हम जितने ही शांतचित्त होंगे और हमारे स्नायु जितने शांत रहेंगे हम उतने ही अधिक प्रेमसंपन्न होंगे और हमारा कार्य भी उतना ही अधिक श्रेष्ठ होगा।