Routie of abdul klam (अब्दुल कलाम की दिनचर्या)

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कलाम देते थे वर्क-लाइफ बैलेंस को महत्व, टाइम मैनेजमेंट पर क्या कहते हैं कलाम, इन  से सीखें..।


एक महान विचारक, विद्वान, विज्ञानविद और उच्च कोटी के मनुष्य, भारत के 11वें राषट्रपति डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम, एक ख्याती प्राप्त वैज्ञानिक इंजीनियर जिन्होने भारत को उन्नत देशों के समूह में सबसे आगे लाने के लिये प्रक्षेपण यानो तथा मिसाइल प्रऔद्योगिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय येगदान दिये हैं।


तमिलनाडु के रामेश्वरम् में 15 अक्टूबर को जन्में डॉ. अब्दुल कलाम अपनी सफलता का श्रेय सर्वप्रथम अपनी माँ को देते हैं, उनके अनुसार-


मैं अपने बचपन के दिन नही भूल सकता, मेरे बचपन को निखारने में मेरी माँ का विषेश योगदान है। उन्होने मुझे अच्छे-बुरे को समझने की शिक्षा दी। छात्र जीवन के दौरान जब मैं घर-घर अखबार बाँट कर वापस आता था तो माँ के हाँथ का नाश्ता तैयार मिलता। पढाई के प्रति मेरे रुझान को देखते हुए मेरी माँ ने मेरे लिये छोटा सा लैम्प खरीदा था, जिससे मैं रात को 11 बजे तक पढ सकता था। माँ ने अगर साथ न दिया होता तो मैं यहां तक न पहुचता।


अब्दुल कलाम एक तपस्वी होने के साथ-साथ एक कर्मयोगी भी हैं। अपनी लगन, कङी मेहनत और कार्यप्रणाली के बल पर असफलताओं को झेलते हुए आगे बढते गये। अपनी उपलब्धियों के दम पर आज उनका स्थान अर्न्तराष्ट्रीय वैज्ञानिकों की सर्वोच्च श्रेणी में आता है।



प्रारम्भिक जीवन में अभाव के बावजूद वे किस तरह राष्ट्रपति के पद तक पहुँचे ये बात हम सभी के लिये प्रेरणास्पद है। उनकी शालीनता, सादगी और सौम्यता किसी महापुरुष से कम नही है। उनसे मिलने की इच्छा स्वाभाविक है जो हममें से कई लोगों की होगी।। उनके जीवन से हम बहुत प्रभावित हैं। हम उनको अपना आर्दश मानते हैं।


सेल्फ हेल्प डेस्क। पीपुल्स प्रेसीडेंट और मिसाइल मैन के नाम से मशहूर डॉ एपीजे अब्दुल कलाम वैसे तो हर मामले में एक मिसाल थे। पर कम ही लोग जानते हैं कि घंटों काम में व्यस्त रहने वाले कलाम पढ़ने-लिखने और लोगों से मिलने का भी समय निकाल लेते थे। इसका क्रेडिट उनके टाइम मैनेजमेंट को जाता है। ऐसा था उनका टाइम मैनेजमेंट..

वर्क एंड लाइफ बैलेंस को देते थे अहमियत
कलाम वर्क एंड लाइफ बैलेंस को काफी अहमियत देते थे। उनका कहना था कि हमें अपना समय ऐसे मैनेज करना चाहिए कि काम के साथ जीवन का भी आनंद उठाया जा सके। क्योंकि जीवन हमें समय की अहमियत बताता है और समय हमें जीवन का महत्व सिखाता है।

बचपन में ही बना लिया था वर्क-लाइफ बैलेंस
कलाम का बचपन बड़ा संघर्षपूर्ण बीता। वे रोज सुबह चार बजे उठकर गणित की ट्यूशन जाते थे। वहां से 5 बजे लौटने के बाद वे अपने पिता के साथ नमाज पढ़ते, फिर तीन किलोमीटर दूर धनुषकोड़ी रेलवे स्टेशन से अखबार लाते और पैदल घूम-घूम कर बेचते। 8 बजे तक वे इन कामों से फ्री होते और तैयार होकर स्कूल चले जाते। स्कूल से लौटने के बाद शाम को वे अखबार के पैसों की वसूली के लिए निकल जाते। उनका कहना था कि हर काम के लिए समय मिलता है, जरूरत केवल अनुशासन में रहने की है।

डॉ. कलाम के दर्शन सिद्धान्त बेहद प्रभावशाली हैं।



जो लोग जिम्मेदार, सरल, ईमानदार एवं मेहनती होते हैं, उन्हे ईश्वर द्वारा विशेष सम्मान मिलता है। क्योंकि वे इस धरती पर उसकी श्रेष्ठ रचना हैं।

किसी के जीवन में उजाला लाओ।

दूसरों का आशीर्वाद प्राप्त करो, माता-पिता की सेवा करो, बङों तथा शिक्षकों का आदर करो, और अपने देश से प्रेम करो इनके बिना जीवन अर्थहीन है।

देना सबसे उच्च एवं श्रेष्ठ गुणं है, परन्तु उसे पूर्णता देने के लिये उसके साथ क्षमा भी होनी चाहिये।

कम से कम दो गरीब बच्चों को आत्मर्निभर बनाने के लिये उनकी शिक्षा में मदद करो।

सरलता और परिश्रम का मार्ग अपनाओ, जो सफलता का एक मात्र रास्ता है।

प्रकृति से सीखो जहाँ सब कुछ छिपा है।

हमें मुस्कराहट का परिधान जरूर पहनना चाहिये तथा उसे सुरक्षित रखने के लिये हमारी आत्मा को गुणों का परिधान पहनाना चाहिये।

समय, धैर्य तथा प्रकृति, सभी प्रकार की पिङाओं को दूर करने और सभी प्रकार के जख्मो को भरने वाले बेहतर चिकित्सक हैं।

अपने जीवन में उच्चतम एवं श्रेष्ठ लक्ष्य रखो और उसे प्राप्त करो।

प्रत्येक क्षण रचनात्मकता का क्षण है, उसे व्यर्थ मत करो।

अब्दुल कलाम, सादा जीवन, उच्च विचार तथा कङी मेहनत के उद्देश्य को मानने वाले वो महापुरूष हैं जिन्होने सभी उद्देशों को अपने जीवन में निरंतर जिया भी है। उनका कहना है कि—-


सपने देखना बेहद जरूरी है, लेकिन सपने देखकर ही उसे हासिल नही किया जा सकता। सबसे ज्यादा जरूरी है जिन्दगी में खुद के लिये कोई लक्ष्य तय करना।



मित्रों, हम सब अगर उपरोक्त बात को समझें और जीवन में उतारें तो अपने अपने लक्ष्य में सफल हो सकते हैं। इसी विश्वास के साथ कलम को विराम देते हैं।


भारत को गौरवान्वित करने वाले महापुरुष को हमारा शत् शत् नमन—– जय हिन्द


Vinod Prajapati

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